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कहानी--साथ चले हम


कहानी इतना ही साथ चले हम 

आज फिर से कोर्ट से संचिता को वापस आना पड़ा क्योंकि  कोर्ट ने फिर से तारीख बढ़ा दिया था।

तलाक के कानून  समय साथ बहुत ही सुधार हुए हैं।
 आजकल तो बंद कमरों में फौरन भी तलाक निपटा दिए जाता है।
 लेकिन भी इस केस में ना जाने क्या कमी थी कि संचिता को बार-बार कोर्ट और वकालत खाने दौड़ना पड़ता था ।

आज भी उसे बस अगली तारीख ही मिली थी।

 वापस आकर संचिता बिल्कुल थक गई थी । इतनी तेज गरमी थी। लू और गर्मी से उसका हाल बुरा था उसने फ्रिजसे पानी निकाला और पानी पीकर थोड़ा रिलैक्स महसूस किया।

 एसी ऑन कर  सोफे पर बैठ कर पुरानी बातें रील की तरह उसके आगे घूमने लगी ।

उसे याद आया आज से करीब 4 साल पहले संचित और उसकी दोस्ती फेसबुक के माध्यम से हुई थी जान पहचान होते हुए आपस में नंबर का आदान-प्रदान होने लगा।

 उसके बाद कुछ दिनों के बाद संचित ने उससे शादी करने का ऑफर किया।
 संचिता को कोई आपत्ति नहीं थी क्योंकि संचित और उसके दोनों के पास एक बहुत अच्छी तो नहीं लेकिन अच्छी नौकरी थी।

लेकिन  शादी के बाद वह संचित के साथ एडजस्ट नहीं कर पाई।
 दोनों को एक साथ  रहने में बहुत ही दिक्कत हो रही थी ।
दोनों एक जैसे थे।
 दोनों को झुकना बिल्कुल भी नहीं आता था। ऐक   कहावत है दूर के ढोल सुहावने वही हाल यहां था।

 जब तक फेसबुक और व्हाट्सएप पर रहते थे तब तक एक एक मैसेज पर निगाहें रहती थी। 

अब दिन दिन भर सामने रहने पर भी कोई दूसरे से बात नहीं करता था। नहीं हाल-चाल लेते थे।  धीरे धीरे झगड़े इतने बढ़ गए के संचित अपना खाना अलग बनाता था और संचिता अपना खाना अलग। 

थोड़े दिन के बाद दोनों ने अलग होने का निर्णय कोर्ट ने इस बात को सिरे से खारिज कर दिया क्योंकि इसमें अलग होने का कोई खास वजूद ही नहीं था।

 अब संचित अलग रहता था और संचिता अपना सामान लेकर अलग फ्लैट में शिफ्ट हो गई थी।
 तब से वह कोर्ट के पीछे पीछे दौड़ रही थी ।

 उसने तलाक के पीछे एक बारी मुहावजा भी लगाया था ।आखिर संचित ने उसकी जिंदगी बर्बाद कर दी थी।

आज फिर से कोर्ट ने तारीख आगे बढ़ा दिया था।
उम्मीद  में संचिता थी।

***

सीमा
 
लेखनी दैनिक प्रतियोगिता

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9 Comments

Pankaj Pandey

22-Aug-2022 01:11 PM

Behtarin rachana

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Seema Priyadarshini sahay

22-Aug-2022 08:43 AM

सभी का धन्यवाद।

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Renu

21-Aug-2022 10:15 PM

Nice

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